Wednesday, 29 April 2020

मिलन!, जुदाई!


मिलन!



मेरी जिस्म जैसे ज़िन्दगी मै,
तू रूह बानी ख़ुशी की,
खुछ पल का साथ ही सही,
मैं जी लूँ वो पल भी.

Sunday, 26 April 2020

मेरी कहानी_2


मेरी कहानी

#मुलाकात


2


चाँद का स्वरुप वो,
अनमोल वो अनन कोई।
लहरा रहे बयार पर,
जुल्फे वो रहसयमयी।
नयन मेरे ये ढीठ से,
नज़र मेरी न झुक सकी।

Friday, 24 April 2020

#मेरी कहानी


मेरी कहानी

#मुलाकात


1


इसकदर मैं बेखबर था,
अनजान मेरी राहों से,
गुजरने वालो पे न ध्यान था,
न ध्यान अपने आप पे।
सहज हुए प्रसंग कुछ,
भाव सारे बदल गए,
देख चेहरा अनमोल सा,
मन पथिक राहों पे।

मिलन!, जुदाई!

मिलन! मेरी जिस्म जैसे ज़िन्दगी मै, तू रूह बानी ख़ुशी की, खुछ पल का साथ ही सही, मैं जी लूँ वो पल भी.