Sunday, 26 April 2020

मेरी कहानी_2


मेरी कहानी

#मुलाकात


2


चाँद का स्वरुप वो,
अनमोल वो अनन कोई।
लहरा रहे बयार पर,
जुल्फे वो रहसयमयी।
नयन मेरे ये ढीठ से,
नज़र मेरी न झुक सकी।

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मिलन!, जुदाई!

मिलन! मेरी जिस्म जैसे ज़िन्दगी मै, तू रूह बानी ख़ुशी की, खुछ पल का साथ ही सही, मैं जी लूँ वो पल भी.